Library-библиотека
Inicio-Главная
Śrīla Prabhupāda
Шрилы Прабхупады
ISKCON-ИСККОН
Idiomas-Языки
English
Español
Pусский
Português
English - Español
English - Pусский
English - Português
Español - Pусский
Español - Português
Pусский - Português
Autores-Aвторов
Libros-Книги
Básicos-Основы
Referenciales-Справка
Ensayos-Эссе
Narrativos de los Ācaryas
Рассказ ачарьи
Filosóficos de los Ācaryas
Философский Ачарьи
De Śrīla Prabhupāda
По Шрила Прабхупада
Los Grandes Clásicos
Великие классики
Sobre Śrīla Prabhupāda
O Шрила Прабхупада
Narrativos de Discípulos de Prabhupāda
Рассказ учеников Прабхупады
Filosóficos de Discípulos de Prabhupāda
Философия учеников Прабхупады
Revistas-Журналы
Sitios-Сайты
Templo Virtual de ISKCON
Виртуальный храм ИСККОН
Istagosthi Virtual
Виртуальный Истагости
Calendario Vaiṣṇava
Вайнавский календарь
Kṛṣṇa West
Кришна-Вест
...
Śrī Īśopaniṣad
-
Шри Ишопанишад
Traducción
Перевод
Transliteración
транслитерация
Devanagari
деванагари
Descripción
Описание
Introducción
Введение
Invocación
Обращение
धृतराष्ट्र उवाच
धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः
मामकाः पाण्डवाश चैव किम अकुर्वत संजय
Mantra 1
Мантра 1
धृतराष्ट्र उवाच
धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः
मामकाः पाण्डवाश चैव किम अकुर्वत संजय
Mantra 2
Мантра 2
संजय उवाच
दृष्ट्वा तु पाण्डवानीकं वयूढं दुर्यॊधनस तदा
आचार्यम उपसंगम्य राजा वचनम अब्रवीत
Mantra 3
Мантра 3
पश्यैतां पाण्डुपुत्राणाम आचार्य महतीं चमूम
वयूढां दरुपदपुत्रेण तव शिष्येण धीमता
Mantra 4
Мантра 4
अत्र शूरा महेष्वासा भीमार्जुनसमा युधि
युयुधानॊ विराटश च दरुपदश च महारथः
Mantra 5
Мантра 5
धृष्टकेतुश चेकितानः काशिराजश च वीर्यवान
पुरुजित कुन्तिभॊजश च शैब्यश च नरपुंगवः
Mantra 6
Мантра 6
युधामन्युश च विक्रान्त उत्तमौजाश च वीर्यवान
सौभद्रॊ दरौपदेयाश च सर्व एव महारथाः
Mantra 7
Мантра 7
अस्माकं तु विशिष्टा ये तान निबॊध दविजॊत्तम
नायका मम सैन्यस्य संज्ञार्थं तान बरवीमि ते
Mantra 8
Мантра 8
भवान भीष्मश च कर्णश च कृपश च समितिंजयः
अश्वत्थामा विकर्णश च सौमदत्तिर जयद्रथः
Mantra 9
Мантра 9
अन्ये च बहवः शूरा मदर्थे तयक्तजीविताः
नानाशस्त्रप्रहरणाः सर्वे युद्धविशारदाः
Mantra 10
Мантра 10
अपर्याप्तं तद अस्माकं बलं भीष्माभिरक्षितम
पर्याप्तं तव इदम एतेषां बलं भीमाभिरक्षितम
Mantra 11
Мантра 11
अयनेषु च सर्वेषु यथाभागम अवस्थिताः
भीष्मम एवाभिरक्षन्तु भवन्तः सर्व एव हि
Mantra 12
Мантра 12
तस्य संजनयन हर्षं कुरुवृद्धः पितामहः
सिंहनादं विनद्यॊच्चैः शङ्खं दध्मौ परतापवान
Mantra 13
Мантра 13
ततः शङ्खाश च भेर्यश च पणवानकगॊमुखाः
सहसैवाभ्यहन्यन्त स शब्दस तुमुलॊ ऽभवत
Mantra 14
Мантра 14
ततः शवेतैर हयैर युक्ते महति सयन्दने सथितौ
माधवः पाण्डवश चैव दिव्यौ शङ्खौ परदध्मतुः
Mantra 15
Мантра 15
पाञ्चजन्यं हृषीकेशॊ देवदत्तं धनंजयः
पौण्ड्रं दध्मौ महाशङ्खं भीमकर्मा वृकॊदरः
Mantra 16
Мантра 16
अनन्तविजयं राजा कुन्तीपुत्रॊ युधिष्ठिरः
नकुलः सहदेवश च सुघॊषमणिपुष्पकौ
काश्यश च परमेष्वासः शिखण्डी च महारथः
Mantra 17
Мантра 17
स घॊषॊ धार्तराष्ट्राणां हृदयानि वयदारयत
नभश च पृथिवीं चैव तुमुलॊ वयनुनादयन
Mantra 18
Мантра 18
अथ वयवस्थितान दृष्ट्वा धार्तराष्ट्रान कपिध्वजः
परवृत्ते शस्त्रसंपाते धनुर उद्यम्य पाण्डवः
हृषीकेशं तदा वाक्यम इदम आह महीपते
Otros idiomas - Другие языки:
Pares de idiomas - Языковые пары:
Obtener libro -
Получить книгу:
Legal:
Copyright:
Help:
Dona al Bhaktivedanta Library - Пожертвовать библиотеке Бхактиведанты